चंडीगढ़. सूबे में पराली जलाने की घटनाएं सरकार के लिए गले की फांस बनती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के पराली प्रबंधन को लेकर सरकार को दिए आदेश के बाद सरकार ने मुआवजे की राशि की घोषणा की है। इसको किसान संगठन ढकोसला बता रहे हैं।
अब सरकार मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अगली पेशी को लेकर अलर्ट हो गई है। इसके लिए कृषि विभाग के सभी अधिकारियों को इस बात को तय करने के आदेश दिए गए हैं कि वह अपने इलाकों में जाकर मुआवजे की राशि लेने के लिए फार्म बंटवाए।
क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में पेशी के दौरान किसान संगठनों की ओर से कहा गया था कि सरकार की ओर से मुआवजा राशि देने के लिए केवल कुछ भी गांवों में फार्म भेजे गए हैं। ऐसे में अब सरकार नहीं चाहती है कि कोर्ट में उसकी इस मामले को लेकर किसी प्रकार की कोई फजीहत हो। क्योंकि अदालत में किसान संगठन इस बात को साफ कर चुके है कि छोटे किसान लाखों रुपये की महंगी मशीनों को खरीद कर अपने स्तर पर पराली का प्रबंधन नहीं कर सकते है।
अदालत में जमा करवाना है सरकार को रिकाॅर्ड
चूंकि अब सरकार को अदालत में कितने किसानों को मुआवजा राशि दी गई है इसका अदालत को दस्तावेजी रिकार्ड जमा करना है। ऐसे में अब सरकार की ओर से जिला प्रशासन के साथ कृषि विभाग के अधिकारियों को भी हर गांव में यह फार्म मुहैया करवाने के लिए कहा है। इसके बाद प्रशासन एवं विभाग के अधिकारी हर गांव तक इन फार्मों को पहुंचाने में जुट गए है। अगर कोई कर्मचारी फार्म वितरित करने के काम में कोताही बरतेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
कोर्ट की फटकार के बाद कर दिया था मुआवजा जारी
15 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान किसान संगठनों ने सरकार द्वारा मुआवजे एवं फार्म नहीं मिलने को लेकर सवाल उठाया था तो सरकार ने आनन-फानन में उसी दिन 29 हजार 343 छोटे और सीमांत किसानों को पराली न जलाने के बदले लगभग 19.09 करोड़ रुपए का मुआवजा राशि जारी कर दी।