तरबूज उत्पादन की जैविक तकनीक

तरबूज कुकरबिटेसी परिवार का "सदस्य है। इसके लिए उपयुक्त मौसम गर्मी का है। यह फसल मुख्यतः भारत के उत्तरी भागों में अधिक पैदा की जाती है। यह गर्मियों का एक मुख्य फल है जो मई-जून की तेज धूप व लू के लिए लाभदायक होता है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक हैइसमें मैग्नीशियम, सल्फर, आयरन, पोटेशियम एवं ऑक्जेलिक अम्ल होता है तथा इसमें पानी की मात्रा भी अधिक होती है।


भूमि और जलवायु तरबूज के लिए गर्म जलवायु उपयुक्त होती है। इसके कारण पौधों एवं फल की वृद्धि अच्छी होती हैबीजों के अंकुरण के लिए 20-25 डिग्री तापमान सर्वोत्तम है। ज्यादा नमी वाली जलवायु में पत्तियों में बीमारी आने लगती है।


खेत की तैयारी तरबूज की खेती के लिए सर्वप्रथम मृदा का जैव कार्बन संतलित मात्रा में होना अति आवश्यक है। इसके लिए 10 टन पकी हई गोबर की खाद प्रति एकड़ के मान से अवश्य उपयोग करें तथाइसके साथ लाभदायक सूक्ष्म जीवों जैसे एजोटोबेक्टर, पीएसबी, पोटाश घोलक जीवाणु तथा ट्राइकोडर्मा का प्रयोग अवश्य करें। सभी की मात्रा 25 किलो प्रति एकड़ के मान से उपयोग करें।


जीवामृत+कल्चर विधि


सामग्री : 180 ली. पानी, 10 किलो ताजा गोबर, 10 लीटर गौमूत्र, 2 किलो गुड़, 2 किलो बेसन, 10 लीटर कल्चर मिश्रण विधि : सभी को मिलाकर 6 दिनों तक रखना है। 20 लीटर प्रति बीघा के मान से उपयोग करें। • उपयोग : ड्रिप में छानकर देवेंसिंचाई के साथ देवें। गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट में मिलाकर उपयोग करें। • नोट : 200 लीटर ड्रम में से 180 लीटर उपयोग करें। बचे हुए 20 लीटर मिश्रण में पुनः सामग्री मिलाएँ। ऐसा कम से कम तीन बार अवश्य करें 15 दिनों के अंतराल पर।


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कीट-बीमारियों पर नियंत्रण


 सामग्री : 100 लीटर गौमूत्र, 5 किलो नीम पत्ते, 5 किलो करंज पत्ते, 5 किलो आकड़ा पत्ते, 5 किलो नशेड़ी पत्ते (बेशरम), 5 किलो लहसुन, 5 किलो हरी मिर्च। • विधि : इस पूरी सामग्री को 30 दिनों तक मिलाकर रखना है। • उपयोग : 1 लीटर/पम्प उपयोग करें• नोट : 200 लीटर के ड्रम में 100 लीटर गौमूत्र लेवें। जैविक फफूंदनाशक • विधि : ताम्बे के बर्तन में 15 दिनों तक छाछ भरकर रखना है। छाछ का रंग हरा नीला हो जाएगा। उपयोग : 500 मिली से 1 लीटर/पम्प उपयोग करें


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